बिहार के कई जिलों में गंगा नदी उफान पर है और इसी बीच भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड स्थित बाकरपुर गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली। यहां बाढ़ की स्थिति के बावजूद शादी टली नहीं — बल्कि बारात नाव से रवाना हुई और तय समय पर शादी भी संपन्न हो गई।
दूल्हा देवमुनी कुमार कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड स्थित कटाकोष गांव से बारात लेकर निकले। सड़क मार्ग से दूरी लगभग 35 किलोमीटर थी, लेकिन गंगा में आई बाढ़ ने रास्ते बंद कर दिए। ऐसे में बारात को पहले नाव से नदी पार कराना पड़ा। इसके बाद कुछ दूरी पैदल चलना पड़ा और फिर ई-रिक्शा के जरिए दुल्हन के घर तक पहुंचा गया।
बारातियों की संख्या करीब 25 से 30 थी। इस दौरान विवाह के लिए आवश्यक सामान जैसे गद्दे, पलंग, गोदरेज और कुर्सियां भी नाव में लादकर ले जाई गईं। बैंड-बाजे की जगह लोग हिम्मत और धैर्य लेकर बारात में शामिल हुए।
स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह दृश्य कौतूहल का विषय बन गया। शादी के इस आयोजन ने यह दिखा दिया कि परिस्थितियां कैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई बाधा शादी जैसे शुभ कार्य को नहीं रोक सकती।
निष्कर्ष
- बाढ़ की विकट परिस्थिति में हुई यह शादी साहस और संकल्प की मिसाल बनी।
- दूल्हे और बारातियों ने नाव, पैदल और ई-रिक्शा से रास्ता तय कर विवाह को समय पर संपन्न किया।
- यह घटना बताती है कि कठिन समय में भी पारिवारिक संस्कार और सामाजिक रीतियाँ निभाई जा सकती हैं।
FAQ: बाढ़ में शादी से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब
गंगा नदी के जलस्तर में भारी बढ़ोतरी के कारण सड़क मार्ग बंद हो गया था, जिससे दूल्हे को नाव, पैदल और ई-रिक्शा के सहारे दुल्हन के घर जाना पड़ा।
यह शादी बिहार के भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड स्थित बाकरपुर गांव में संपन्न हुई।
बारात नाव से नदी पार कर बाढ़ग्रस्त इलाकों से होकर गुजरी, कुछ दूरी पैदल तय की गई और अंतिम चरण में ई-रिक्शा का सहारा लिया गया।
बाढ़ की वजह से कोई पारंपरिक बैंड-बाजा नहीं था, लेकिन शादी की रस्में सादगी और हिम्मत के साथ पूरी की गईं।

